अंतिम चाल-15-May-2023
प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 15/05/2023
अंतिम चाल
हमारे दिल से खेलोगे,
तुम जी नहीं पाओगे
अंतिम चाल में हमारी तुम,
फंस के रह जाओगे।
पाना चाहोगे जिसे,
वह मिलेगा नहीं तुम्हें।
तुम खुद ही में सनम,
सिमटकर रह जाओगे।
अंतिम चाल पड़ेगी तुम्हें महंगी
होश भी शायद तुम खो तुम अपना।
अपने आपको पहचान नहीं पाओगे
उस चाल से तुम बच नहीं पाओगे।
हमारे दिल से खेलोगे,
तुम जी नहीं पाओगे।
अंतिम चाल में हमारी तुम,
फंस के रह जाओगे।।
शाहाना परवीन "शान"...✍️
Milind salve
16-May-2023 08:02 AM
बहुत खूब
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kashish
15-May-2023 08:02 PM
beautifully written poem mam
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sunanda
15-May-2023 04:36 PM
nice
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